मैं तो हूँ बहता पानी और तू नदी की धार। मैं तो हूँ बहता पानी और तू नदी की धार।
कदम से कदम मिलाना है प्रकृति का साथ निभाना है। समझौता नहीं,संभावना नहीं, समझ बढ़ाना कदम से कदम मिलाना है प्रकृति का साथ निभाना है। समझौता नहीं,संभावना नहीं, ...
देखा है मैंने पहली रोटी गाय को अंतिम रोटी कुत्ते को बिना रुके देती रही माई ने देखा है मैंने पहली रोटी गाय को अंतिम रोटी कुत्ते को बिना रुके देती रही माई ने
वक़्त का सब शोर ही करते रह गए, वह था कि चुपके से निकल गया। वक़्त का सब शोर ही करते रह गए, वह था कि चुपके से निकल गया।
पद ताल माँ पर करता अटूट विश्वास, माँ गजगामिनी ले चली आज ...। पद ताल माँ पर करता अटूट विश्वास, माँ गजगामिनी ले चली आज ...।
चलते हैं एक-एक घर तेरे ही हिसाब से.....। चलते हैं एक-एक घर तेरे ही हिसाब से.....।